गीता भगवान् का ह्रदय है| उन्होंने स्वयं कहा है 'गीता मे ह्र्दयं पार्थ' यह सर्वशास्त्रमयी है, क्योंकि यह वेद-तत्तवार्थ का निचोड़ है|
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