सञ्जय उवाच :-
एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेशः परन्तप।
न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह॥९॥
तमुवाच हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत।
सेनयोरूभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं वचः॥१०॥
Sanjaya said :-
Having spoken thus, Arjuna, chastiser of enemies, told Krishna, “Govinda, I shall not fight,” and fell silent. O descendant of Bharata, at that time Krishna, smiling, in the midst of both the armies, spoke the following words to the grief-stricken Arjuna.
सञ्जय बोले :-
हे राजन! निद्रा को जीतने वाले अर्जुन अन्तर्यामी श्री कृष्ण महाराज के प्रति इस प्रकार कहकर फ़िर श्री गोविन्द भगवान से 'युद्ध नहीं करूँगा' यह स्पष्ट कहकर चुप हो गये। हे भरत वंशी धृतराष्ट्र! अन्तर्यामी श्री कृष्ण महाराज दोनो सेनाओं के बीच में शोक करते उस अर्जुन को हंसते हुए-से वचन बोले॥९-१०॥
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